BA Semester-1 Manovigyan - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2630
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर

प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

बुद्धि एक ऐसा सामान्य शब्द है जिसका प्रयोग हम अपने दिन-प्रतिदिन के बोल-चाल की भाषा में काफी करते है। तेजी से सीखने तथा समझने, अच्छे स्मरण तथा तार्किक चिन्तन आदि गुणों के लिए हम दिन-प्रतिदिन की भाषा में बुद्धि शब्द का प्रयोग करते हैं। बुद्धि शब्द को अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। इन सभी परिभाषाओं को मूलतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है -

1. पहले श्रेणी में उन परिभाषाओं को रखा गया है जिसमें बुद्धि को वातावरण के साथ समायोजन करने की क्षमता के आधार पर परिभाषित किया गया है। जो व्यक्ति जितनी ही जल्दी से वातावरण के साथ समायोजन कर लेता है। उसे उतनी ही तीव्र बुद्धि का समझा जाता है।

2. दूसरी श्रेणी में उन परिभाषाओं को रखा गया है जिसमें बुद्धि को सीखने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है। जिस व्यक्ति में यह क्षमता जितनी अधिक होगी उस व्यक्ति में बुद्धि भी उतनी ही होगी।

3. तीसरे श्रेणी में उन परिभाषाओं को रखा गया है जिसमें बुद्धि को अमूर्त चिन्तन करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है। यह क्षमता जिस व्यक्ति में जितनी ही अधिक होती है. उस व्यक्तियों में बुद्धि भी उतनी ही होगी।

परन्तु बाद में इस वर्गीकरण की आलोचना करते हुए कहा गया कि प्रत्येक श्रेणी की परिभाषाओं में बुद्धि के एकमात्र पहलू या पक्ष को आधार मानकर बुद्धि को परिभाषित किया गया है। बुद्धि मे केवल एक ही तरह की क्षमता (या पहलू) सम्मिलित नहीं होती है बल्कि इसमें अनेक तरह की क्षमताएँ जिन्हें सामान्य क्षमता कहा जाता है, सम्मिलित होता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को दूसरे ढंग से परिभाषित किया है -

"बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिन्तन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है।"

'बुद्धि से तात्पर्य संज्ञानात्मक व्यवहारों के सम्पूर्ण वर्ग से होता है जो व्यक्ति में सूझ द्वारा समस्या समाधान करने की क्षमता, नयी परिस्थितिओं के साथ समायोजन करने की क्षमता. अमूर्त रूप से सोचने की क्षमता तथा अनुभवों से लाभ उठाने की क्षमता को दिखलाता है।"- 'रॉबिन्सन तथा रॉबिन्सन 1965'

बुद्धि उन क्रियाओं को समझने की क्षमता है जिनकी विशेषताएँ (1) कठिनता (2) जटिलता (3) अमूर्तता (4) मितव्ययिता (5) किसी लक्ष्य के प्रति अनुकूलनशीलता (6) सामाजिक मान तथा (7) मौलिकता की उत्पत्ति होती है और कुछ परिस्थिति में वैसी क्रियाओं को जो शक्ति की एकाग्रता तथा सांवेगिक कारकों के प्रति प्रतिरोध दिखलाता है, करने की प्रेरणा देती है। - स्टोडाई 1941

इन सभी परिभाषाओं की एक सामान्य विशेषता यह है कि इन परिभाषाओं में बुद्धि को कई क्षमताओं का योग माना गया है यही कारण है कि इन परिभाषाओं का एक सामान्य विश्लेषण करने पर हम निम्न तथ्य पर पहुँचते है

(i) बुद्धि विभिन्न क्षमताओं का सम्पूर्ण योग होता है।

(ii) बुद्धि के सहारे व्यक्ति किसी समस्या के समाधान में सुझ का सहारा लेता है। (iii) बुद्धि के सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रियाएँ करता है।

(iv) बुद्धि व्यक्ति को वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से समायोजन या अनुकुलन करने में मदद करता है।

(v) बुद्धि से व्यक्ति में विवेकशील चिन्तन तथा अमूर्त चिन्तन करने में भी मदद मिलती है। (vi) बुद्धिमान व्यक्ति प्रायः कठिन एवं जटिल कार्य को समझकर करते है इनके कार्यों में मौलिकता अधिक होती है।

विवरण से स्पष्ट है कि बुद्धि का स्वरूप कुछ ऐसा होता है जिसे किसी एक कारक या क्षमता के आधार पर नही समझा जा सकता है।

बुद्धि के प्रकार

ई. एल. थॉर्नडाइक ने बुद्धि के तीन प्रकार बतलाये है जो इस प्रकार हैं

1. सामाजिक बुद्धि - सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को ठीक ढंग से समझता है तथा व्यवहार कुशलता भी दिखलाता है। ऐसे लोगों का सामाजिक संबंध काफी अच्छा होता है तथा समाज में इनकी प्रतिष्ठा काफी अच्छी होती है इनमें सामाजिक कौशलता काफी होती है। यही कारण कि ऐसे व्यक्ति एक अच्छे नेता बन जाते है।

2. अमूर्त बुद्धि -अमूर्त चिंतन से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता से होता है जिसके सहारे "व्यक्ति शाब्दिक तथा गणितीय संकेतो एवं चिन्हों के संबंधों को आसानी से समझा जाता है तथा उसकी उचित व्याख्या कर पाता है। ऐसा व्यक्ति जिसमें अमूर्त बुद्धि अधिक होती है, एक सफल कलाकार, पेन्टर तथा गणितज्ञ आदि होता है।

3. मूर्त बुद्धि - मूर्त्त बुद्धि से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता होता है जिसके सहारे व्यक्ति ठोस वस्तुओं के महत्व को समझता है तथा उसका ठीक ढंग से भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में परिचालन करना सीखता है इस तरह की बुद्धि की जरूरत व्यापार एवं भिन्न-भिन्न तरह के व्यवसायों में अधिकतर पड़ती है ऐसे बुद्धि वाले व्यक्ति एक सफल व्यापारी बन सकते है।

अतः स्पष्ट है कि बुद्धि के मुख्य तीन प्रकार है। इन प्रकारों के बीच कोई स्पष्ट रेखा नहीं है। यह नहीं कह सकते कि जिसमें सामाजिक बुद्धि अधिक होगी उसमें मूर्त्त बुद्धि तथा अमूर्त बुद्धि कम होगी और मूर्त्त बुद्धि अधिक होगी तो अमूर्त्त बुद्धि तथा सामाजिक बुद्धि कम होगी।

बुद्धि लब्धि

बुद्धि मापने के लिए सबसे पहला बुद्धि परीक्षण बिने तथा साइमन ने 1905 में विकसित किया इस परीक्षण में बुद्धि को मानसिक आयु के रूप में मापकर अभिव्यक्ति किया गया 1916 में बिने साइमन परीक्षण का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन टरमैन ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने किया। इसी संशोधन में बुद्धि-लब्धि के संप्रत्यय का जन्म हुआ और बुद्धि को मापने में मानसिक आयु की जगह पर बुद्धि-लब्धि का प्रयोग होने लगा। 1912 ई. में विलियम स्टर्न ने इस पर पहले ही अपने थे। सुझाव दे रखे

बुद्धि-लब्धि मानसिक आयु तथा तैथिक आयु का एक ऐसा अनुपात है जिससे 100 से गुणा कर प्राप्त किया जाता है यही कारण है कि इस अनुपात को बुद्धि-लब्धि भी कहा जता है।

सूत्र : बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु / तैथिक आयु × 100

या                            IQ = MA / CA x 100

 

उदाहरण - मान लिया जाए कि किसी बुद्धि परीक्षण द्वारा मापने पर 6 साल के बच्चे की मानसिक आयु 5 साल की आती है और एक 4 साल के बच्चे की मानसिक आयु 5 साल की आती है तो पहले बच्चे की बुद्धि-लब्धि 5 / 6 x 100 = 83 आयेगी तथा दूसरे बच्चे की बुद्धि-लब्धि 5 / 4 x 100 = 125 आयेगी। स्पष्टतः दूसरा बच्चा पहले बच्चे से बुद्धि में अधिक प्रखर है।

मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि-लब्धि के भिन्न-भिन्न मान के अर्थ को स्पष्ट एवं वस्तुनिष्ठ करने के लिए एक सामान्य तालिका बनायी है -

2630_29_69.jpgअतः बुद्धि-लब्धि द्वारा हमें व्यक्ति के बौद्धिक स्तर का पता लगाया जा सकता है। बुद्धि-लब्धि द्वारा व्यक्ति के बुद्धि की अभिव्यक्ति ठीक ढंग से होती है फिर भी आधुनिक मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि- लब्धि के इस अर्थ के प्रति असंतोष व्यक्त किया है। इनके अनुसार व्यक्ति की मानसिक आयु सामान्यतः 18-19 साल के उम्र के बाद नही बढ़ती है परन्तु उसका तैथिक आयु में वृद्धि होती रहती है ऐसी परिस्थिति में 19 साल के उम्र के बाद के प्रत्येक उम्र के व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि यदि उक्त सूत्र से ज्ञात कीजिए तो वह उतरोत्तर कमती जायेगी।

आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक द्वारा किसी बुद्धि परीक्षण पर समान उम्र के अन्य व्यक्तियो की तुलना में व्यक्ति के निष्पादन का पता चलता है। व्यक्ति के प्राप्तांक की व्याख्या उसके अपने उम्र के मानक से किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
  8. प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  10. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  12. प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  13. प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  17. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  19. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  20. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
  22. प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  24. प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  26. प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  28. प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
  30. प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
  31. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
  32. प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
  33. प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
  35. प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
  36. प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
  39. प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
  40. प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
  44. प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
  45. प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
  50. प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
  51. प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
  52. प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
  54. प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
  56. प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
  57. प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
  59. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
  61. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  63. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  64. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  66. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  67. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  68. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  69. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  71. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  72. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  73. प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  75. प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
  76. प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  82. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  83. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  85. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  88. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  91. प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  95. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
  99. प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
  100. प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
  101. प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  102. प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
  104. प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
  105. प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
  107. प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
  108. प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
  109. प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
  110. प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  111. प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
  112. प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
  113. प्रश्न- संवेग के
  114. प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
  115. प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  116. प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
  117. प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
  121. प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
  122. प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।

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